नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने किच्छा नगर पालिका के चुनाव न कराए जाने पर राज्य सरकार से दो दिन के भीतर जवाब मांगा है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जब नगर पालिका अध्यक्ष पद का आरक्षण तय हो चुका है, तो चुनाव में देरी क्यों की जा रही है?

यह निर्देश हाईकोर्ट ने किच्छा निवासी नईमूल हुसैन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने अदालत को बताया कि किच्छा नगर पालिका में पिछले डेढ़ साल से प्रशासक ही सभी कार्य संभाल रहे हैं, जबकि प्रदेश की अन्य सभी नगर पालिकाओं में चुनाव हो चुके हैं।
आरक्षण सूची में किच्छा का उल्लेख नहीं
याचिका में कहा गया कि 14 दिसंबर 2023 को सरकार ने प्रदेश के 43 नगर पालिका अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण अधिसूचना जारी की थी, जिसमें आम जनता से आपत्तियां मांगी गई थीं। लेकिन इस सूची में किच्छा नगर पालिका के अध्यक्ष पद का आरक्षण स्पष्ट नहीं किया गया, जिससे यह संदेह उत्पन्न हुआ कि सरकार चुनाव को टालना चाहती है।
पूर्व में गांवों को नगर पालिका में मिलाने पर कोर्ट ने लगाई थी रोक
याचिकाकर्ता के अनुसार, सरकार ने पहले किच्छा नगर पालिका में कुछ गांवों को मिलाया था, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। हालांकि, बाद में सरकार ने पुनः इन क्षेत्रों को नगर पालिका में शामिल कर दिया। अब आशंका जताई जा रही है कि चुनाव में देरी कर वहां की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित किया जा रहा है।
कोर्ट ने दिया था आरक्षण तय करने का आदेश
न्यायालय ने पहले ही सरकार को किच्छा नगर पालिका के आरक्षण को स्पष्ट करने का निर्देश दिया था। अब जब आरक्षण तय हो चुका है, फिर भी चुनाव नहीं कराए गए। इस पर अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए सरकार से दो दिनों के भीतर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
क्या कहती है नियमावली?
याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि आरक्षण आवंटन नियमावली के अनुसार नगर पालिका अध्यक्ष पदों का रोस्टर कुल पदों के आधार पर तय होना चाहिए। लेकिन सरकार ने वर्तमान में केवल 43 नगर पालिका अध्यक्ष पदों के आधार पर रोस्टर निर्धारित किया है, जिससे किच्छा नगर पालिका के चुनाव को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
