इस्लामी विद्वानों की तकरीरें और तलबा की मेहनत – ‘अज़मत-ए-कुरआन’ ने छू लिया दिल!

मुख्य संपादक – सैफ अली सिद्दीकी

हल्द्वानी: हल्द्वानी में इस्लामी तालीम और कुरआनी शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से आयोजित “बउनवान अज़मत-ए-कुरआन” कार्यक्रम का भव्य आयोजन 18 फरवरी 2025, मंगलवार को मदरसा अरबिया इहया-उल-उलूम, लाइन नंबर 1, हल्द्वानी में किया गया।

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इस कार्यक्रम में उन तलबा-ए-किराम (छात्रों) को विशेष रूप से सम्मानित किया गया, जिन्होंने एक बैठक में पूरा कुरआन सुनाने की सआदत हासिल की थी।

यह मुबारक तकरीब इस्लामी तालीम की रौशनी को फैलाने और नई पीढ़ी को कुरआन से जोड़ने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में इस्लामी विद्वानों, गणमान्य व्यक्तियों और आम जनता ने शिरकत की।


कार्यक्रम का शुभारंभ और माहौल

कार्यक्रम की शुरुआत नूरानी माहौल में हुई। कुरआन की तिलावत से इसका आगाज किया गया, जिससे पूरा माहौल इबादत से सराबोर हो गया। इसके बाद इस्लामी शिक्षाओं और कुरआन की अज़मत पर रोशनी डालने वाली तकरीरें पेश की गईं।

इस मौके पर विभिन्न विद्वानों ने अपनी तकरीरों के जरिए इस्लामी तालीम और कुरआनी तालीमात की अहमियत पर जोर दिया।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कुरआन केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवन मार्गदर्शक है, जो इंसान को हर क्षेत्र में रहनुमाई करता है।


विशिष्ट अतिथि की गरिमामयी मौजूदगी

इस कार्यक्रम की सबसे अहम बात यह रही कि इसमें जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख सदस्य और एडवोकेट हज़रत मौलाना सय्यद क़मर रशीदी साहबज़ादे (हज़रत मौलाना सय्यद का-अ-ब अशहद रशीदी साहब) ने विशेष रूप से शिरकत की।

उन्होंने अपने संबोधन में कहा,

“कुरआन पाक सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि यह एक मुकम्मल जि़न्दगी का निज़ाम है। जो लोग इस पर अमल करते हैं, उनके लिए यह दुनिया और आख़िरत की कामयाबी का जरिया बनता है। आज के दौर में, जब हमारी नई नस्लें भटकाव का शिकार हो रही हैं, ऐसे आयोजनों की अहमियत और बढ़ जाती है। हमें चाहिए कि हम कुरआन से अपने बच्चों का रिश्ता मजबूत करें और उन्हें दीनी तालीम से रोशन करें।”

उन्होंने इस आयोजन की खास तौर पर तारीफ करते हुए कहा कि “इस तरह की तकरीबें नई पीढ़ी को कुरआन और इस्लामी तालीम की तरफ मोड़ने में अहम भूमिका निभाती हैं।”

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि तालीम-ए-कुरआन हर मुसलमान की जिम्मेदारी है और इस तरह के आयोजन नई नस्ल को कुरआन की तरफ मोड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने इस्लामी तालीम को बढ़ावा देने और बच्चों को दीनी इल्म की तरफ प्रेरित करने की जरूरत पर बल दिया। उनकी तकरीर को श्रोताओं ने बड़े ध्यान से सुना और सराहा।


सम्मानित किए गए तलबा, मिली खास ट्रॉफी

इस आयोजन में उन छात्रों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया, जिन्होंने एक बैठक में पूरा कुरआन सुनाने की सआदत प्राप्त की थी। मोहम्मद खूबेद बिन जुबैर(13), मोहम्मद बिन इमरान(13) निवासी तंबौर, जिला सीतापुर को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया। इसी के साथ ही कुरान-ए-करीम का नाजरा (देखकर सुनाना) पूरा करने वाली हफ़सा(6) और मरियम(6) बिन मौलाना मोहम्मद सलमान निवासी हल्द्वानी जिला ननीताल को भी ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के आयोजकों ने तलबा-ए-किराम को इस उपलब्धि पर बधाई दी और उन्हें इस्लामी तालीम के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

सम्मानित छात्रों को खास ट्रॉफी व अन्य उपहार दिये गए। विद्वानों और गणमान्य व्यक्तियों ने इन बच्चों की हौसला अफज़ाई करते हुए कहा कि ये छात्र समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और आने वाली नस्लों को इनसे सीख लेनी चाहिए।


समाज से की गई विशेष अपील

कार्यक्रम के दौरान आयोजकों और इस्लामी विद्वानों ने सभी मुस्लिम भाइयों और समाज के अन्य वर्गों से अपील की कि वे इस तरह की दीनी तकरीबों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और तलबा-ए-अज़ीज़ की हौसला अफज़ाई करें।

उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन न केवल कुरआनी तालीम को बढ़ावा देते हैं, बल्कि नई पीढ़ी को भी धार्मिक शिक्षा से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। इस अवसर पर इस्लामी शिक्षकों ने इस बात पर जोर दिया कि अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को कुरआन और इस्लाम की सही तालीम दें, ताकि वे सही राह पर चल सकें।


भविष्य में भी होंगे ऐसे कार्यक्रम

मदरसे प्रिंसिपल अब्दुल हसीब सिद्दीकी ने इस आयोजन की सफलता पर संतोष व्यक्त किया और भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन की घोषणा की।

मुफ्ती मोहम्मद तय्यब ने कहा,
“इस्लामी तालीम की रौशनी को फैलाने के लिए इस तरह के आयोजन बेहद जरूरी हैं। हम आगे भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करते रहेंगे, ताकि समाज में कुरआनी तालीम को और अधिक बढ़ावा दिया जा सके।”

जमीयत उलेमा-ए-हिंद, नैनीताल जिला अध्यक्ष का बयान

कार्यक्रम में जमीयत उलेमा-ए-हिंद, नैनीताल के जिला अध्यक्ष ने भी विशेष रूप से शिरकत की और अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा,

“यह कार्यक्रम इस्लामी तालीम और कुरआनी शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार के लिए एक बेहतरीन पहल है। हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को कुरआन की सही तालीम दें, ताकि वे दुनिया और आखिरत दोनों में कामयाब हो सकें। आज के दौर में, जब दुनियावी तालीम पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है, हमें अपनी आने वाली नस्लों को दीनी तालीम से भी जोड़ना होगा। यही हमारी पहचान और हमारी असली ताकत है।”

इस मौके पर उपस्थित लोगों ने भी इस बात पर सहमति जताई कि ऐसे आयोजन समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मददगार साबित होते हैं।


कार्यक्रम की शानदार सफलता

इस ऐतिहासिक और रूहानी कार्यक्रम के सफल आयोजन के बाद, उपस्थित लोगों ने इसे बेहद सराहनीय पहल बताया। कार्यक्रम में शामिल हुए मेहमानों और इस्लामी विद्वानों ने कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में धार्मिक शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने में मील का पत्थर साबित होते हैं।

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