मुंबई की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (दिंडोशी) डी.जी. ढोबले ने एक महिला को व्हाट्सऐप पर अश्लील और अवांछित संदेश भेजने के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा को बरकरार रखते हुए टिप्पणी की कि इस तरह का व्यवहार मानवीय गरिमा का उल्लंघन और अश्लीलता के समान है।

क्या है मामला?
एक पूर्व पार्षद ने एक महिला को रात 11 बजे से 12.30 बजे के बीच कई व्यक्तिगत और अनुचित संदेश भेजे थे। इन संदेशों में महिला की शारीरिक विशेषताओं पर टिप्पणी करते हुए उसे आकर्षित करने का प्रयास किया गया था। इनमें शामिल थे – ‘आप पतली हैं’, ‘आप बहुत स्मार्ट दिखती हैं’, ‘आप गोरी हैं’, और ‘क्या आप शादीशुदा हैं?’।
महिला ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। 2022 में मजिस्ट्रेट अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए तीन महीने की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ आरोपी ने सत्र न्यायालय में अपील की थी, जिसमें उसने दावा किया कि उसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते झूठे आरोपों में फंसाया गया है।
अदालत का फैसला
सत्र न्यायालय ने आरोपी के इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि उसने यह साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया कि उसके और शिकायतकर्ता के बीच कोई व्यक्तिगत संबंध था। न्यायालय ने यह भी कहा कि कोई भी प्रतिष्ठित महिला, विशेष रूप से अगर वह एक पार्षद हो, ऐसे अनुचित संदेशों और अश्लील सामग्री को स्वीकार नहीं करेगी।
अदालत ने इस कृत्य को महिला की गरिमा का अपमान करार दिया और आरोपी की सजा को उचित ठहराया।
न्यायपालिका का संदेश
इस फैसले के साथ अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि महिलाओं को ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी प्रकार की अश्लीलता और उत्पीड़न से बचाने के लिए कानूनी सख्ती जरूरी है। यह निर्णय समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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