उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता लंबे समय से सरकार में दायित्व मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन धामी सरकार फिलहाल इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाती नहीं दिख रही है। शासन से जारी आदेशों के मुताबिक, फिलहाल दायित्वों के बंटवारे को लेकर सरकार के पास कोई स्पष्ट योजना नहीं है।

हाल ही में राज्य सरकार ने दो महत्वपूर्ण आयोगों—उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग और उत्तराखंड राज्य महिला आयोग—के अध्यक्षों के कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला लिया है। दोनों आयोगों के वर्तमान अध्यक्षों का कार्यकाल समाप्त हो चुका था, लेकिन सरकार ने नए नियुक्ति निर्णय तक इन्हें कार्यभार संभालने का निर्देश दिया है।
गीता खन्ना का कार्यकाल बढ़ा
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना का कार्यकाल 6 जनवरी 2025 को समाप्त हो गया था। हालांकि, नए अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी के चलते सरकार ने गीता खन्ना को ही आयोग की जिम्मेदारी जारी रखने का आदेश दिया है। इस फैसले से आयोग के कार्यों में आ रही रुकावटें दूर होने की उम्मीद जताई जा रही है।
कुसुम कंडवाल को भी मिली जिम्मेदारी
इसी तरह, उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल का कार्यकाल भी 6 जनवरी 2025 को समाप्त हो गया था। लेकिन सरकार ने नए अध्यक्ष की नियुक्ति न होने तक उन्हें इस पद पर बनाए रखने का निर्णय लिया है।
भाजपा कार्यकर्ताओं की उम्मीदें बरकरार
राज्य में भाजपा कार्यकर्ता लंबे समय से सरकार में दायित्वों की आस लगाए हुए हैं। इस मुद्दे पर कई बार राजनीतिक बयानबाजी भी हो चुकी है, लेकिन अब तक सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। आयोगों के अध्यक्षों का कार्यकाल बढ़ाने के बाद यह साफ हो गया है कि सरकार फिलहाल नए नियुक्तियों के पक्ष में नहीं है।
भाजपा संगठन स्तर पर भी कार्यकर्ताओं को दायित्व दिए जाने की चर्चा होती रही है, लेकिन फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है। अब देखना यह होगा कि धामी सरकार कब तक इस दिशा में कदम उठाती है और पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीदों को पूरा करती है।
