उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी से काठगोदाम तक चल रहे सड़क चौड़ीकरण के चलते मलिन बस्तियों को बिना पूर्व सूचना हटाए जाने के मामले में राज्य सरकार से विस्थापन योजना प्रस्तुत करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका की अगली सुनवाई मार्च माह में निर्धारित की है।
क्या है मामला?
हल्द्वानी निवासी अफताब आलम द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार हल्द्वानी से काठगोदाम तक सड़क चौड़ीकरण और सौंदर्यीकरण का कार्य कर रही है, जो सराहनीय है। लेकिन, इस परियोजना की जद में आने वाली मलिन बस्तियों को नगर निगम द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के हटा दिया गया, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रभावित लोगों को सुनवाई का अवसर दिए बिना उनके वर्षों पुराने घरों को तोड़ दिया गया। उन्होंने न्यायालय से अपील की है कि उन्हें अन्यत्र विस्थापित किया जाए, ताकि वे बेघर न हों।
हाईकोर्ट का निर्देश
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अगली सुनवाई तक प्रभावित लोगों के पुनर्वास को लेकर अपना विस्तृत प्लान अदालत में पेश करे। इस मामले की अगली सुनवाई मार्च में होगी।
