उत्तराखंड हाईकोर्ट में सोमवार को नगर निकायों में आरक्षण के रोटेशन को लेकर अहम सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने सरकार को एक सप्ताह के भीतर शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।

साथ ही, अदालत ने यह भी कहा कि सरकार सभी विजय प्रत्याशियों को मामले की जानकारी दे, ताकि यदि वे चाहें तो अपना पक्ष न्यायालय में रख सकें। मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च को होगी।

क्या है मामला?
राज्य सरकार द्वारा 2024 में लागू की गई आरक्षण नियमावली को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने अल्मोड़ा नगर निगम, धारचूला नगर पालिका, गुप्तकाशी नगर पंचायत और उत्तरकाशी नगर पालिका के अध्यक्ष एवं मेयर पदों के आरक्षण पर सवाल उठाए हैं। अधिवक्ता कमलेश तिवारी ने बताया कि याचिका में तर्क दिया गया है कि आरक्षण नियमावली बनाने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है और यह नियमावली त्रुटिपूर्ण है। इसलिए, निकायों के आरक्षण को नए सिरे से तय किया जाना चाहिए।

सरकार पर बढ़ा दबाव
अब सरकार को एक सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल कर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। इसके अलावा, सभी संबंधित निकायों के विजय प्रत्याशियों को भी इस मामले की जानकारी देने का निर्देश दिया गया है। यदि वे चाहें तो न्यायालय में अपनी बात रख सकते हैं।

आगे क्या?
हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 24 मार्च तय की है। इस मामले के फैसले से उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव प्रक्रिया और आरक्षण व्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है। अब देखना होगा कि राज्य सरकार अपने जवाब में क्या तर्क पेश करती है और हाईकोर्ट का अगला कदम क्या होगा।
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