होलाष्टक स्टार्ट: मांगलिक कामों पर ब्रेक, 15 मार्च को धूमधाम से मनेगी होली

हल्द्वानी। फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि से शुरू हुआ होलाष्टक अब होलिका दहन तक जारी रहेगा। इस दौरान सभी शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह समय अशुभ माना जाता है, इसलिए विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण और अन्य शुभ कार्य इस अवधि में वर्जित रहते हैं।

क्या है होलाष्टक और क्यों माने जाते हैं ये दिन अशुभ?

होलाष्टक की अवधि में सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु जैसे आठ ग्रहों की स्थिति विशेष परिवर्तनशील होती है, जिससे इसे अशुभ समय माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान देवताओं और प्रकृति पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है। इसलिए शुभ कार्यों को स्थगित करने की परंपरा है।

इस दौरान क्या करें, क्या न करें?

होलाष्टक के दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते, लेकिन इस समय जप, ध्यान, पूजा-पाठ और तांत्रिक क्रियाओं से विशेष लाभ मिलता है। इस दौरान भगवान विष्णु, शिव और हनुमान जी की आराधना करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।

रंग धारण और चीर बंधन की तिथि

ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी के अनुसार, इस वर्ष रंग धारण और चीर बंधन का शुभ समय 9 मार्च को सुबह 7:45 बजे के बाद है। इस समय के बाद रंगों का प्रयोग करना और होली की तैयारियां शुरू करना शास्त्र सम्मत रहेगा।

उपवास और व्रत की तिथियां

  • आमलकी एकादशी उपवास: 10 मार्च
  • फाल्गुन पूर्णिमा व्रत: 13 मार्च

आमलकी एकादशी पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा का महत्व बताया गया है। वहीं, फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन का आयोजन होगा, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

15 मार्च को मनेगी होली, 14 मार्च से खरमास शुरू

चूंकि इस वर्ष उदयव्यापिनी प्रतिपदा होने के कारण होली का पर्व 15 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन रंगों के त्योहार की धूम रहेगी और पूरे देश में उल्लास के साथ होली खेली जाएगी।

इस बीच, ज्योतिषाचार्य अशोक वार्ष्णेय के अनुसार, 14 मार्च से खरमास शुरू होगा, जो 13 अप्रैल तक रहेगा। इस दौरान भी विवाह और अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे। खरमास के समाप्त होने के बाद 14 अप्रैल से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी, जो 7 जून तक जारी रहेंगे।

क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य?

ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि होलाष्टक का समय आत्मचिंतन और साधना के लिए बेहद उपयुक्त है। इस दौरान भगवान विष्णु, शिव और देवी दुर्गा की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

होलाष्टक एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय और धार्मिक अवधारणा है, जो होली से पहले आठ दिनों तक चलता है। इस दौरान शुभ कार्यों पर विराम लगा दिया जाता है, लेकिन आध्यात्मिक और धार्मिक क्रियाओं को बढ़ावा दिया जाता है। 15 मार्च को होली का रंगारंग पर्व मनाया जाएगा और 14 मार्च से खरमास लगने के कारण शादी-ब्याह जैसे कार्यों पर प्रतिबंध रहेगा। 14 अप्रैल से फिर से शुभ कार्यों की शुरुआत होगी, जो 7 जून तक जारी रहेगी।

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