टांडा: नहर विभाग द्वारा कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए टांडा खास में कई दुकानों को जमींदोज करने का मामला सामने आया है। इस कार्रवाई में दुकानदारों का लाखों रुपये का नुकसान हुआ है, जिससे वे न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

कोर्ट के आदेश के बावजूद तोड़ी दुकानें
प्रभावित दुकानदारों का कहना है कि उनकी दुकानें टांडा खास में गाटा संख्या 352 पर स्थित थीं, जिसे नगर पालिका ने उनके पूर्वजों को आवंटित किया था। वे नियमित रूप से टैक्स भी अदा कर रहे थे। बावजूद इसके, नहर विभाग ने इस जमीन को गाटा संख्या 351 बताते हुए उन्हें बेदखल करने की कोशिश की।

इस विवाद के चलते दुकानदारों ने सिविल जज, रामपुर की अदालत में याचिका दायर की थी, जिसके बाद कोर्ट ने 5 अप्रैल 2025 तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। लेकिन नहर विभाग ने इस आदेश को दरकिनार कर बिना किसी पूर्व सूचना के बुलडोजर चलवा दिया।
दुकानदारों ने दिखाई कोर्ट का आदेश, लेकिन नहीं माने अधिकारी
घटना के दौरान जब दुकानदारों ने अधिकारियों को कोर्ट का स्टे आदेश दिखाया, तो उसे मानने से इनकार कर दिया गया। देखते ही देखते दुकानों को तोड़ दिया गया, जिससे वहां रखा लाखों का सामान भी नष्ट हो गया। इस कार्रवाई से व्यापारी समुदाय में भारी आक्रोश है।
पीड़ितों ने प्रशासन से लगाई न्याय की गुहार
अब पीड़ित दुकानदारों ने उपजिला अधिकारी, टांडा से निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि पहले यह स्पष्ट किया जाए कि गाटा संख्या 352 की सही लोकेशन क्या है और नहर विभाग किस आधार पर इसे 351 बता रहा है।
दुकानदारों की मांग है कि उनकी जमीन की नाप-तौल कराई जाए और उन्हें उनके अधिकार वापस दिए जाएं। फिलहाल, इस मामले को लेकर प्रशासन से कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।
क्या कहता है कानून?
किसी भी संपत्ति पर कार्रवाई करने से पहले प्रशासन को कानूनी प्रक्रिया का पालन करना जरूरी होता है। कोर्ट के स्टे आदेश के बाद भी किसी सरकारी विभाग द्वारा ऐसी कार्रवाई किया जाना गंभीर मामला है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है और क्या पीड़ित दुकानदारों को न्याय मिल पाएगा?