उत्तराखण्ड: कैश कांड से हिला न्यायपालिका, जस्टिस वर्मा के खिलाफ वकीलों का गुस्सा

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर से बरामद नोटों की गड्डियों ने देशभर में न्यायपालिका की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मुद्दे को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के जर्नल हाउस में वकीलों ने एकजुटता दिखाते हुए इसे “न्यायपालिका को शर्मसार करने वाली घटना” करार दिया और कड़ी कार्रवाई की मांग की।

बार एसोसिएशन ने जताई कड़ी नाराजगी

उत्तराखंड हाईकोर्ट बार सभागार में आयोजित इस बैठक में अधिवक्ताओं ने न्यायपालिका की गरिमा पर उठे इस बड़े सवाल को लेकर चिंता जताई। सभी अधिवक्ताओं ने इस घटना को न केवल शर्मनाक बताया, बल्कि इसे न्याय व्यवस्था पर “धब्बा” करार दिया। वकीलों ने कहा कि जस्टिस वर्मा ने न्यायपालिका की छवि धूमिल की है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

ट्रांसफर नहीं, कड़ी सजा की मांग

बार एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्यों ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अधिवक्ताओं ने सवाल उठाया कि आखिर सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने जस्टिस वर्मा को दंडित करने के बजाय केवल ट्रांसफर क्यों किया? क्या यह न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल नहीं उठाता? इस मुद्दे को लेकर उत्तराखंड बार एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के साथ खड़े होने का संकल्प लिया।

“नेशनल ज्यूडिशियल कमीशन की हो पुनर्स्थापना”

बैठक में न्यायपालिका की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए नेशनल ज्यूडिशियल कमीशन (NJC) को दोबारा लाने की मांग उठी। अधिवक्ताओं ने सवाल किया कि इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच क्यों नहीं कराई गई? क्या कोई दबाव था? क्या न्यायपालिका के खिलाफ कार्रवाई करने से बचा जा रहा है?

“इस अन्याय को स्वीकार नहीं करेंगे”

उत्तराखंड बार काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र पाल और उत्तराखंड बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डी.एस. मेहता ने कहा कि इस घटना ने पूरे देश की न्याय व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। उन्होंने कहा कि बार एसोसिएशन इस अन्याय को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगा और इसके खिलाफ कानूनी विधेयक लाने की पहल की जाएगी।

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