केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन कानून को आज यानी 8 अप्रैल 2025 से लागू कर दिया है। सरकार की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है, जिसके साथ ही यह कानून अब देशभर में प्रभावी हो गया है। संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इसे गजट में प्रकाशित कर दिया गया।

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर संसद में लंबी बहस हुई थी। लोकसभा में यह विधेयक 232 के मुकाबले 288 मतों से पारित हुआ, जबकि राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 और विरोध में 95 मत पड़े थे। इसके बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलते ही केंद्र सरकार ने इस कानून को लागू करने का ऐलान किया।

सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती, 16 अप्रैल को सुनवाई
वहीं दूसरी ओर, वक्फ संशोधन कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। अब तक इस कानून के खिलाफ कुल 15 याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। इन पर सुनवाई की तारीख 16 अप्रैल तय की गई है। केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में कैविएट दायर की गई है, ताकि बिना सरकार का पक्ष सुने कोई अंतरिम आदेश न दिया जाए।
याचिकाकर्ताओं में दिग्गज नेता और संस्थाएं शामिल
वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ जिन प्रमुख हस्तियों और संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, उनमें शामिल हैं:
- मोहम्मद जावेद (कांग्रेस सांसद)
- असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM प्रमुख)
- एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (NGO)
- अमानतुल्लाह खान (AAP विधायक)
- मौलाना अरशद मदनी (जमीयत उलेमा-ए-हिंद)
- समस्थ केरल जमीयतुल उलेमा
- तैय्यब खान सलमानी (कानून के छात्र)
- अंजुम कादरी (सामाजिक कार्यकर्ता)
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
- SDPI और IUML जैसे संगठन
- ए राजा के माध्यम से DMK
- कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी
- RJD के सांसद मनोज झा और फैयाज अहमद
विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का विरोध जारी
वक्फ संशोधन कानून को लेकर विपक्षी दलों और कई मुस्लिम संगठनों ने सख्त आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इस कानून के जरिए मुस्लिम समाज के धार्मिक मामलों में दखल दिया गया है, जो संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है। वहीं सरकार का कहना है कि यह कानून मुसलमानों के हित में है और इससे वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।