विशेष सत्र न्यायालय ने वीरेन्द्र को पॉक्सो एक्ट के आरोपों से किया दोषमुक्त

मुख्य संपादक – सैफ अली सिद्दीकी

हल्द्वानी, नैनीताल — रामनगर थाना क्षेत्र के आरोपी और स्कूल शिक्षक वीरेन्द्र चन्द को विशेष सत्र न्यायालय (पॉक्सो) हल्द्वानी ने धारा 354 भारतीय दंड संहिता एवं धारा 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) के तहत लगे आरोपों से दोषमुक्त कर दिया है।

अधिवक्ता हर्षित सनवाल, जो अभियुक्त के पक्ष में पैरवी कर रहे थे, ने इस निर्णय पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा, “अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों में कई विरोधाभास थे, और महत्वपूर्ण साक्ष्यों की जांच नहीं की गई। हमारे मुवक्किल को झूठे आरोपों में फंसाया गया था। न्यायालय ने सभी तथ्यों को समझते हुए उचित निर्णय दिया है।”

उन्होंने आगे कहा, “यह फैसला हमारे मुवक्किल की बेगुनाही साबित करता है और न्याय व्यवस्था में विश्वास बनाए रखता है। अभियुक्त को छह माह की अवधि के लिए ₹25,000 के व्यक्तिगत बंधपत्र पर रिहा किया जाएगा।”

विशेष सत्र न्यायालय ने अभियुक्त के पक्ष में दिए गए बचाव साक्ष्यों, पीड़िताओं के विरोधाभासी बयानों और सीसीटीवी फुटेज की अनुपस्थिति को ध्यान में रखते हुए अभियोजन पक्ष के आरोपों को युक्तिसंगत संदेह से परे साबित न होने पर दोषमुक्ति का निर्णय सुनाया।

न्यायालय ने कहा कि ‘संदेह का लाभ अभियुक्त को दिया जाना चाहिए’, इसलिए अभियुक्त को तत्काल रिहा करने का आदेश भी जारी किया गया है।

यह निर्णय न्याय व्यवस्था में साक्ष्यों के महत्व और ‘न्याय के तटस्थ दृष्टिकोण’ का उदाहरण है, जो कानूनी प्रक्रिया में निष्पक्षता को दर्शाता है।


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