उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पूर्व विधायक कुंवर प्रणव ‘चैंपियन’ और वर्तमान विधायक उमेश शर्मा के बीच हुई सार्वजनिक लड़ाई पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार से सभी पूर्व और वर्तमान विधायकों के आपराधिक मामलों की रिपोर्ट तलब की है। न्यायालय ने कहा कि इन मुकदमों का निपटारा एम.पी./एम.एल.ए. कोर्ट में छह माह के भीतर किया जाना चाहिए।

गुरुवार को न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान सरकार से कई अहम सवाल पूछे, जिनमें विधायक उमेश शर्मा को दी गई ‘वाई प्लस’ सुरक्षा और पूर्व विधायक चैंपियन के सरकारी आवास को खाली न कराने का मुद्दा शामिल था।
सरकार ने उठाए ये कदम
मामले में सरकार की ओर से पेश उप महाधिवक्ता जे.एस. विर्क ने अदालत को बताया कि सरकार ने इस विवाद को गंभीरता से लिया है और कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:
- जांच समिति का गठन – एक विशेष समिति बनाई गई है, जो इस घटना की जांच कर शीघ्र निर्णय लेगी।
- सरकारी आवास आवंटन रद्द करने की प्रक्रिया शुरू – सिंचाई विभाग के बंगलों को आवासीय उपयोग के लिए अलॉट करने पर पुनर्विचार किया जा रहा है, और इसे रद्द करने के लिए संबंधित सचिव को सूचित कर दिया गया है।
- प्रॉसिक्यूशन अधिकारी से जवाब तलब – न्यायालय को विधायकों के आपराधिक इतिहास की जानकारी न देने वाले अभियोजन अधिकारी से जवाब मांगा जाएगा।
सरकारी आवास का किराया भी उठा सवालों के घेरे में
सुनवाई के दौरान सरकार ने न्यायालय को बताया कि पूर्व विधायक कुंवर प्रणव ‘चैंपियन’ को सरकारी बंगले के लिए ₹9,209 और विधायक उमेश शर्मा को ₹1,693 का किराया देना पड़ता है। इस पर रुड़की के कुछ वकीलों ने न्यायालय को बताया कि शहर के मध्य स्थित इन सरकारी भवनों का वास्तविक किराया बाजार दर के अनुसार कहीं अधिक होना चाहिए।
न्यायालय ने सरकार से मांगी विस्तृत रिपोर्ट
उच्च न्यायालय ने इस मामले में अधिक जानकारी के लिए गुरुवार शाम को फिर से सुनवाई रखी है। कोर्ट ने सरकार से स्पष्ट रूप से पूछा कि विधायकों को सरकारी आवास और सुरक्षा देने की क्या जरूरत है और कब तक इस पर उचित कार्रवाई होगी।
इस हाई-प्रोफाइल मामले में न्यायालय के अगले आदेश पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
