शादी के बाद पति-पत्नी के बीच विवाद आम बात है, लेकिन कुछ मामले ऐसे होते हैं जो कोर्ट और समाज दोनों को चौंका देते हैं। ऐसा ही एक मामला कानपुर से सामने आया, जहां शादी के चार साल बाद पति-पत्नी का रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच गया। पत्नी ने पति पर दहेज उत्पीड़न और क्रूरता का आरोप लगाते हुए तलाक और एकमुश्त भत्ते की मांग की, लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।

क्या है मामला?
कानपुर के चकेरी क्षेत्र के एक दंपति की शादी 15 जून 2014 को हुई थी। कुछ साल बाद पत्नी ने आरोप लगाया कि उसका पति धोखेबाज है। उसने कहा कि शादी से पहले पति ने खुद को बैंक अधिकारी (बैंक बाबू) बताया था, लेकिन बाद में पता चला कि वह बैंक में केवल चपरासी के पद पर कार्यरत है। महिला ने यह भी आरोप लगाया कि पति दहेज को लेकर उसे प्रताड़ित करता था और उसके अवैध संबंध भी थे।
पति ने क्या कहा?
पति ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया और कोर्ट में बताया कि पत्नी का किसी अन्य युवक से संबंध था। वह अक्सर मोबाइल पर घंटों बातें करती थी, और जब पति ने इसका विरोध किया तो वह घर छोड़कर चली गई।
कोर्ट का फैसला
न्यायाधीश रेखा सिंह की अदालत ने इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और साक्ष्यों की जांच की। कोर्ट ने पाया कि पत्नी अपने आरोपों को साबित करने में असफल रही। वह यहां तक नहीं बता पाई कि उसकी शादी की सही तारीख क्या थी। उसने न तो उत्पीड़न का कोई पुख्ता प्रमाण दिया और न ही यह साबित कर सकी कि उसके गहने ससुरालवालों ने जबरन रख लिए थे।
इस आधार पर अदालत ने पत्नी की तलाक और एकमुश्त भत्ते की मांग को खारिज कर दिया। यह मामला उन विवादों के लिए एक मिसाल बन सकता है, जहां बिना ठोस सबूत के झूठे आरोप लगाए जाते हैं।
