मुख्य संपादक – सैफ अली सिद्दीकी
इस्लाही मुशायरे का सफल आयोजन, हल्द्वानी में दीनी और सामाजिक सुधार पर जोर
हल्द्वानी: जमीयत उलमा-ए-हिंद हल्द्वानी की जानिब से आयोजित इस्लाही मुशायरा कल, 22 फरवरी 2025 को बड़े ही शानदार और असरदार तरीके से संपन्न हुआ। इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की और इस्लामी तालीमात, सामाजिक सुधार और नैतिकता पर बेहतरीन तकरीरें सुनीं।
महिलाओं के लिए विशेष कार्यक्रम
दोपहर 3 बजे से 4 बजे तक हल्द्वानी के सरताज मैरिज हॉल, मालिक का बग़ीचा में महिलाओं के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें इस्लामी शिक्षाओं, सामाजिक उत्थान और नैतिकता पर अहम तकरीरें की गईं। महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही और उन्होंने बड़ी रुचि के साथ इन बातों को सुना और समझा। आयोजकों ने इस कार्यक्रम को एक सफल और प्रेरणादायक पहल बताया।
आम जनता के लिए कार्यक्रम
मगरीब की नमाज़ के बाद मस्जिद अमीर हम्ज़ा, ट्यूबवेल के पास आयोजित कार्यक्रम में प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान हज़रत मौलाना नदीम अहमद साहब (टांडा, बदायूं) और मुफ़्ती रियासत अली साहब (अमरोहा) ने शिरकत की। दोनों विद्वानों ने इस्लामी रहनुमाई, समाज में सुधार और धार्मिक मूल्यों की पुनर्स्थापना पर अपने विचार साझा किए।
मौलाना नदीम अहमद साहब का बयान
मौलाना नदीम अहमद साहब ने अपने बयान में कहा:
“इस्लाम एक मुकम्मल निज़ाम-ए-हयात (जीवन व्यवस्था) है, जो न केवल इबादतों का बल्कि हमारे आमाल (कर्म), अखलाक (चरित्र) और समाजी ताल्लुक़ात (सामाजिक संबंधों) का भी सही तरीका सिखाता है। आज हमारे समाज में जो बुराइयां घर कर गई हैं, उनसे बचने का एक ही रास्ता है – अल्लाह के बताए हुए रास्ते पर चलना और अपने आमाल को इस्लामी शिक्षाओं के मुताबिक ढालना। हमें अपने घरों और बच्चों को इस्लामी तालीम से रोशन करना होगा, तभी हमारा समाज तरक्की कर सकता है।”
मुफ़्ती रियासत अली साहब का बयान
मुफ़्ती रियासत अली साहब ने अपने बयान में कहा:
“आज हमारा समाज जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें सबसे ज्यादा जरूरत है कि हम अपने अंदर ईमान की पुख्तगी लाएं और अपने किरदार को इस्लामी बनाएँ। इस्लाम हमें भाईचारा, इंसाफ और नैतिकता का पैगाम देता है। अगर हम अपने कारोबार, लेन-देन और रोज़मर्रा की जिंदगी में ईमानदारी और सच्चाई को अपनाएं, तो हमारा समाज खुद-ब-खुद सुधर जाएगा।”
महिलाओं के सम्मान पर बयान
मुफ़्ती रियासत अली साहब ने महिलाओं की अहमियत और उनके सम्मान पर जोर देते हुए कहा:
“इस्लाम ने औरत को इज्जत और मुकाम अता किया है। एक माँ, एक बहन, एक बेटी और एक बीवी के तौर पर औरत की अहमियत को समझना हर इंसान की जिम्मेदारी है। हमें अपनी महिलाओं को तालीम से आरास्ता (सुसज्जित) करना चाहिए, ताकि वे अपने घरों और समाज में एक बेहतरीन किरदार अदा कर सकें।”
उन्होंने कहा:
“आज के दौर में हमें चाहिए कि हम अपनी बहनों और बेटियों को सिर्फ दुनिया की तालीम ही नहीं, बल्कि दीनी तालीम भी दें। क्योंकि एक पढ़ी-लिखी औरत ही आने वाली नस्लों की बेहतरीन परवरिश कर सकती है। हमारे नबी-ए-करीम ﷺ ने फरमाया कि ‘बेहतरिन इंसान वो है, जो अपनी औरतों के साथ अच्छा सुलूक करे।’ इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने घरों में अपनी बीवियों, बेटियों और बहनों की इज्जत करें और उनके हुक़ूक को अदा करें।”
मौलाना मुकीम कासमी (जिला अध्यक्ष, जमीयत उलेमा हिंद नैनीताल) का बयान
मौलाना मुकीम कासमी ने अपने बयान में कहा:
“इस्लाही मुशायरे का मकसद सिर्फ तकरीरें सुनना नहीं, बल्कि उन बातों को अपनी जिंदगी में उतारना है। आज हमें जरूरत है कि हम अपने घरों में इस्लामी माहौल बनाएँ, अपने बच्चों को दीनी तालीम दें और अपने अखलाक को बेहतर बनाएं। अगर हम अपने समाज को सुधारना चाहते हैं, तो सबसे पहले हमें खुद को बदलना होगा।”
उन्होंने आगे कहा:
“आज का यह इजलास (बैठक) हमें याद दिलाता है कि हम अपनी ज़िम्मेदारियों को समझें और अपने अमल को दुरुस्त करें। अगर हम चाहते हैं कि हमारी नस्लें कामयाब हों, तो हमें उन्हें कुरआन और सुन्नत के मुताबिक़ तरबियत देनी होगी। इस्लाम हमें सिर्फ इबादत करना नहीं सिखाता, बल्कि यह हमारे पूरे समाजी निज़ाम को बेहतर बनाने की तालीम देता है।”
उम्मीद से ज्यादा लोगों की शिरकत
मौलाना मुकीम कासमी ने बताया कि इस्लाही मुशायरे में उम्मीद से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि समाज में दीनी और नैतिक शिक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों का शुक्रिया अदा किया और इस तरह के आयोजनों को आगे भी जारी रखने का आश्वासन दिया।
समाज सुधार की दिशा में अहम कदम
यह कार्यक्रम समाज में दीनी और अखलाकी सुधार की दिशा में एक अहम क़दम साबित हुआ। इसमें लोगों को इस्लामी शिक्षाओं के आधार पर अपनी ज़िंदगी को संवारने और बेहतर समाज बनाने की प्रेरणा मिली। प्रतिभागियों ने इस आयोजन को बेहद उपयोगी और आवश्यक बताया।
आयोजकों ने सभी मुस्लिम भाइयों और बहनों से अपील की कि वे ऐसे कार्यक्रमों में आगे भी शिरकत करें और इस्लामिक शिक्षाओं से अपने जीवन को रोशन करें।
