रमजान में इबादत करने वालों पर होती है रहमतों की बारिश
रहमत और बरकत से भरा इस्लामिक कैलेंडर का सबसे पाक महीना रमजान आज से शुरू हो गया है। टांडा की जमा मस्जिद समेत शहरभर की तमाम मस्जिदों में इबादत का सिलसिला तेज हो गया है। रात में तरावीह की नमाज शुरू हो चुकी है, और मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ उमड़ रही है।
माना जाता है कि इस पवित्र महीने में की गई इबादत अल्लाह के दरबार में बेहद असरदार होती है। बुजुर्गों का कहना है कि इस दौरान रोजेदार अपने जिस्म और नफ्स (इच्छाओं) पर काबू रखते हैं, जिससे आत्मा शुद्ध होती है। रमजान सिर्फ भूख और प्यास सहने का नाम नहीं, बल्कि यह सब्र, नेकी और आत्मसंयम की सीख देता है।
रमजान: बरकत और इबादत का महीना
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रमजान का महीना खास महत्व रखता है क्योंकि यही वह पवित्र समय है जब अल्लाह ने कुरान शरीफ को नाजिल किया। इस महीने में हर मुसलमान पर रोजा रखना फर्ज होता है, और इसे अल्लाह की इबादत का सबसे बेहतरीन जरिया माना जाता है।
शहर के धार्मिक विद्वानों के अनुसार, रमजान आत्मशुद्धि का अवसर होता है, जहां इंसान को अपनी गलतियों का एहसास होता है और उन्हें सुधारने का मौका मिलता है। इस दौरान तौबा (प्रायश्चित) करने और अल्लाह से रहमत मांगने की परंपरा भी है।
जकात और सदका का महत्व
रमजान सिर्फ इबादत का ही महीना नहीं, बल्कि दान और परोपकार का भी समय होता है। इस दौरान जरूरतमंदों की मदद के लिए जकात और सदका देने का खास महत्व है। इस्लाम में जकात को अनिवार्य बताया गया है, जिससे गरीबों और बेसहारा लोगों को राहत मिलती है।
मस्जिदों में बढ़ी रौनक, शुरू हुई तरावीह की नमाज
टांडा की जमा मस्जिद सहित कई मस्जिदों में रमजान की तैयारियां पहले से ही पूरी कर ली गई थीं। पहला रोजा शुरू होते ही मस्जिदों में नमाजियों की तादाद बढ़ गई है। तरावीह की विशेष नमाज के लिए हर उम्र के लोग बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं।
रमजान का यह पवित्र महीना आत्मसंयम, इबादत और दान-पुण्य के साथ इंसान को नेक रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है। धार्मिक विद्वानों का कहना है कि इस दौरान की गई इबादत का सवाब कई गुना बढ़ जाता है, और यह अल्लाह की रहमत पाने का सबसे बेहतरीन वक्त होता है।