उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पॉक्सो एक्ट और दुष्कर्म के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा को सशर्त जमानत दे दी है। अभियुक्त थाना लालकुआं में एफआईआर संख्या 170/2024 के तहत धारा 376(2)(n), 506 आईपीसी और धारा 9(m)/10 पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत न्यायिक हिरासत में था।

क्या है पूरा मामला?
प्राथमिकी के अनुसार, पीड़िता, जो एक विधवा महिला है, वर्ष 2021 में नौकरी की तलाश में थी। इसी दौरान उसने नैनीताल दुग्ध संघ, लालकुआं में नौकरी पाने के लिए अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा से संपर्क किया।

आरोप है कि 10 नवंबर 2021 को अभियुक्त ने पीड़िता को स्थायी नौकरी देने के बहाने काठगोदाम के एक होटल में बुलाया और वहां बलपूर्वक दुष्कर्म किया। यही नहीं, आरोपी ने इस घटना के आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बना लिए और धमकी दी कि यदि पीड़िता ने किसी को बताया, तो वह इसे वायरल कर देगा और उसकी अस्थायी नौकरी भी छीन लेगा।

आरोपी पर यह भी आरोप है कि उसने पीड़िता की नाबालिग बेटी का भी यौन उत्पीड़न किया। इस आधार पर मुकदमे में पॉक्सो अधिनियम की धारा 9(m)/10 भी जोड़ी गई।
हाईकोर्ट से मिली सशर्त जमानत
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अभियुक्त को कुछ कड़ी शर्तों के साथ जमानत दी है, जिनमें शामिल हैं:
- आरोपी जांच एजेंसी के साथ पूरा सहयोग करेगा।
- अभियुक्त किसी भी प्रकार से पीड़िता या उसकी नाबालिग बेटी को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगा।
- आरोपी बिना न्यायालय की अनुमति के देश नहीं छोड़ सकेगा।
- यदि अभियुक्त के पास पासपोर्ट है, तो उसे न्यायालय में जमा करना होगा। यदि पासपोर्ट नहीं है, तो उसे हलफनामा दाखिल करना होगा।
आगे क्या?
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब यह देखना होगा कि जांच एजेंसियां मामले की आगे कैसे जांच करती हैं और अभियुक्त न्यायिक प्रक्रिया में किस तरह सहयोग करता है। मामले में अभी अंतिम निर्णय आना बाकी है।