उत्तराखंड के हरिद्वार में एक नाबालिग के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पुलिस जांच में पता चला है कि किशोरी के पिता ने उसकी उम्र बढ़ाकर उसे बालिग साबित करने के लिए फर्जी आधार कार्ड तैयार कराया था, जबकि स्कूल के प्रमाणपत्र के अनुसार वह नाबालिग थी।
क्या है पूरा मामला?
सिडकुल पुलिस के अनुसार, सहारनपुर निवासी एक व्यक्ति जो सिडकुल क्षेत्र की एक कॉलोनी में किराए पर रहता था, उसने जनवरी में अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट दर्ज कराते समय उसने जो आधार कार्ड पुलिस को सौंपा, उसमें किशोरी की उम्र 18 वर्ष बताई गई थी। हालांकि, जब जांच के दौरान स्कूल प्रमाणपत्र की जांच की गई तो उसमें उसकी उम्र 18 वर्ष से कम पाई गई।
पिता के खिलाफ दर्ज हुआ केस
जांच में फर्जी दस्तावेजों का मामला सामने आने के बाद पुलिस ने किशोरी के पिता के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है। इस संबंध में महिला एसआई मनीषा नेगी ने बताया कि मामले की गहन जांच की जा रही है और कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे की कार्रवाई की जाएगी।
क्यों है यह मामला अहम?
यह मामला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि नाबालिग और बालिग की उम्र का अंतर दुष्कर्म जैसे मामलों में कानूनी दृष्टि से बेहद अहम होता है। यदि किशोरी नाबालिग है, तो आरोपी पर सख्त पॉक्सो (POCSO) कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
आगे की कार्रवाई
पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि आरोपी ने किशोरी की सही उम्र जानने के बावजूद कोई गलत बयान तो नहीं दिया था। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि इस मामले में और कौन-कौन लोग शामिल हो सकते हैं।