उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर में नेशनल हाईवे परियोजना के तहत सोमवार तड़के सैय्यद मासूम शाह मिया और सज्जाद मिया की मजार को प्रशासन ने बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया। अब इस मामले को लेकर उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।
याचिकाकर्ता की ओर से वक्फ की पैरवी कर रहे अधिवक्ता खान ने मजार ध्वस्तीकरण के खिलाफ पुराने याचिका में मेंशन किया, जिस पर न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने सुनवाई की। अदालत ने याची से 24 घंटे के भीतर दो व्यक्तियों का विवरण, आधार कार्ड, फोटो, ईमेल व फोन नंबर सहित पूरी जानकारी मांगी है, जो मजार की मिट्टी को स्थानांतरित करेंगे। साथ ही शपथपत्र के जरिए यह स्पष्ट करना होगा कि मिट्टी कहां स्थापित की जाएगी।
न्यायालय का प्रशासन को निर्देश: मजार स्थल पर ट्रैफिक तुरंत रोका जाए
सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी और एसएसपी ऑनलाइन उपस्थित रहे। न्यायालय ने जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि जब तक पूरी प्रक्रिया तय नहीं हो जाती, तब तक मजार स्थल के ऊपर से ट्रैफिक बंद किया जाए और डामरीकरण का कार्य तत्काल रोका जाए।
प्रशासन ने दी सफाई, मुआवजे का दावा
जिलाधिकारी ने अदालत को बताया कि उक्त मजार “हज़रत मासूम साह दरगाह” के नाम से जानी जाती थी, और यह वक्फ भूमि नहीं है। एन.एच.ए.आई. ने 10 फरवरी को नोटिस जारी किया था और नियमानुसार 60 दिनों बाद दोबारा नोटिस देकर कार्यवाही की गई। यह मजार 1960 से सड़क के हिस्से के रूप में दर्ज थी और खसरे में दर्ज होने के आधार पर उचित मुआवजा भी दिया गया है।
वक्फ पक्ष का आरोप: मजार तोड़ने के बाद तुरंत बिछाई गई कोलतार
वक्फ पक्ष के अधिवक्ता का कहना है कि प्रशासन ने मजार हटाने के तुरंत बाद वहां कोलतार बिछाकर ट्रैफिक शुरू करवा दिया, जबकि रात तक ऐसा कुछ नहीं था। इस पर न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए स्थल से ट्रैफिक की आवाजाही पर तत्काल रोक लगाने को कहा।
सरकारी पक्ष का तर्क: दो हाईवे क्रॉस पॉइंट, ट्रैफिक बाधित
सरकारी अधिवक्ता राजीव बिष्ट ने कोर्ट को बताया कि मजार स्थल से दो हाईवे क्रॉस करते हैं, जिससे ट्रैफिक की समस्याएं हो रही हैं। इसके बावजूद न्यायालय ने फिलहाल वहां से ट्रैफिक हटाने का आदेश दिया है।
अगली सुनवाई बुधवार को
अब इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार दोपहर को होगी। देखना होगा कि याची द्वारा मांगी गई जानकारी न्यायालय को समय पर उपलब्ध कराई जाती है या नहीं।