दारुल उलूम देवबंद के पूर्व मोहतमिम और सुप्रीम पावर कमेटी मजलिस-ए-शूरा के वरिष्ठ सदस्य मौलाना गुलाम रसूल वस्तानवी का 75 वर्ष की उम्र में बीमारी के चलते उनके पैतृक गांव अकलकुवां (गुजरात) में इंतकाल हो गया। उनके इंतकाल की खबर से इस्लामी जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
मौलाना गुलाम रसूल वस्तानवी को वर्ष 2011 में दारुल उलूम के मोहतमिम के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने दीनी तालीम और संस्थान के विकास में अहम योगदान दिया। उनके नेतृत्व में कई शैक्षिक और प्रशासनिक फैसले लिए गए, जिन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
मौलाना वस्तानवी के निधन पर रामपुर टांडा बादली के हाफिज मुहम्मद जमाल अहमद ने गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि “मौलाना गुलाम रसूल वस्तानवी का इंतकाल इस्लामी दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने दीनी तालीम और समाज सेवा के क्षेत्र में जो योगदान दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। हम अल्लाह से उनके दर्जात की बुलंदी और जन्नतुल फिरदौस में जगह अता करने की दुआ करते हैं।
”दारुल उलूम प्रतिनिधिमंडल रवाना
दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि मुफ्ती राशिद आजमी और मौलाना मोहम्मद मुजम्मिल बदायूवीं के नेतृत्व में दारुल उलूम का प्रतिनिधिमंडल अकलकुवां रवाना कर दिया गया है।मौलाना वस्तानवी के इंतकाल से पूरे इस्लामिक समाज में शोक की लहर है। सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा हुआ है।