मुख्य संपादक -सैफ अली सिद्दीकी
किशोर न्याय बोर्ड, नैनीताल ने एक चर्चित मामले में फैसला सुनाते हुए एक किशोर को सभी आरोपों से दोषमुक्त करार दिया। यह मामला थाना बनभूलपुरा में दर्ज एफआईआर संख्या 249/2023 से संबंधित था, जिसमें मारपीट, गाली-गलौज और धमकी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे।
बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं की मजबूत पैरवी:
किशोर की ओर से पेश अधिवक्ता मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद दानिश ने अदालत के समक्ष मजबूत दलीलें रखते हुए कहा कि यह पूरा मामला दुर्भावना से प्रेरित था और किशोर को झूठे आरोपों में फंसाया गया। उन्होंने तर्क दिया कि—
गवाहों के बयानों में गंभीर विरोधाभास है: एक गवाह ने घटना का समय रात 8 बजे बताया, जबकि दूसरा गवाह शाम 4:30 बजे का ज़िक्र करता है।
मेडिकल रिपोर्ट में कोई ताजा चोट नहीं दर्शाई गई।
एफआईआर दर्ज करने में तीन दिन की देरी हुई, जिसकी कोई स्पष्ट वजह नहीं दी गई।
अदालत का निष्कर्ष:
प्रधान मजिस्ट्रेट ज्योति बाला, सदस्य नजर अली और अंजू कठायत बिष्ट की पीठ ने माना कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में असफल रहा। उन्होंने यह भी कहा कि इस केस में प्रस्तुत सबूत संदेह से परे नहीं थे और गवाहों के बयानों में विरोधाभास ने अभियोजन की कहानी को कमजोर किया।
फैसला:
किशोर न्याय बोर्ड ने सभी तथ्यों और तर्कों को ध्यान में रखते हुए आरोपी किशोर को दिनांक 8 मई 2025 को सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया।
राज्य की ओर से सहायक अभियोजन अधिकारी शैफाली शर्मा उपस्थित रहीं, जबकि बचाव पक्ष की प्रभावशाली पैरवी अधिवक्ता मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद दानिश ने की।