हल्द्वानी: अधिवक्ता (संशोधन) अधिनियम 2025 में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर हल्द्वानी बार एसोसिएशन ने कड़ा विरोध जताते हुए इसे अधिवक्ताओं की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष किशोर कुमार पंत ने कहा कि यह संशोधन अधिवक्ताओं के अधिकारों और विधि व्यवसाय की स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा, जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

हल्द्वानी बार एसोसिएशन ने इस मुद्दे पर SDM हल्द्वानी के माध्यम से विधि एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार को ज्ञापन भेजा, जिसमें संशोधनों को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की गई है।
संशोधन पर आपत्ति, अधिवक्ताओं ने रखी ये मांगें
अध्यक्ष किशोर कुमार पंत ने कहा, “यह प्रस्तावित संशोधन सरकार को बार काउंसिल, अधिवक्ताओं और बार संगठनों पर पूर्ण नियंत्रण देने का प्रयास है, जो न केवल विधि व्यवसाय की स्वतंत्रता को बाधित करता है, बल्कि अधिवक्ताओं के हितों के भी खिलाफ है।”
ज्ञापन में एसोसिएशन ने तीन प्रमुख बिंदुओं पर आपत्ति जताई:
- विधि व्यवसाय की स्वतंत्रता पर खतरा – सरकार को बार काउंसिल और अधिवक्ताओं पर नियंत्रण देने की कोशिश की जा रही है, जिससे उनकी स्वतंत्रता बाधित होगी।
- दंड और जुर्माने का प्रावधान – अधिवक्ताओं के पेशेवर कार्यों को दंडनीय बनाने और उन पर जुर्माना लगाने की बात कही गई है, जो पूरी तरह अनुचित है।
- संभावित आंदोलन की चेतावनी – यदि यह संशोधन वापस नहीं लिया गया, तो अधिवक्ता देशभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे, और इसके परिणामों की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।
सचिव मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि अधिवक्ता समुदाय इस प्रस्तावित कानून के खिलाफ पूरी तरह एकजुट है और यदि सरकार ने इसे वापस नहीं लिया तो आगामी रणनीति पर विचार किया जाएगा।
हल्द्वानी बार एसोसिएशन ने सरकार से बिना शर्त इस अधिनियम को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि यदि अधिवक्ताओं के अधिकारों का हनन हुआ, तो राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।
