हल्द्वानी: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बनभूलपुरा दंगे में शामिल आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फिलहाल कोई राहत देने से इनकार कर दिया है। वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई की और राज्य सरकार से याचिकाकर्ताओं की जमानत याचिका पर आपत्ति दर्ज करने को कहा। कोर्ट ने अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है।

अब्दुल मोईद ने पेश किया शपथपत्र, सरकार को जाँच के निर्देश
सुनवाई के दौरान आरोपी अब्दुल मोईद की ओर से एक अतिरिक्त शपथपत्र दायर किया गया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि दंगे के समय वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। शपथपत्र में उनके पक्ष में कई साक्ष्य और बयान प्रस्तुत किए गए। इस पर न्यायालय ने राज्य सरकार को इन तथ्यों की जाँच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

सरकार को चार्टशीट पेश करने का निर्देश
कोर्ट ने अब्दुल चौधरी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को निर्देश दिया कि घटना के समय मौजूद अभियुक्तों की चार्टशीट तैयार कर न्यायालय में पेश की जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्हें गलत तरीके से इस मामले में शामिल किया गया है और साक्ष्यों के अभाव में उन्हें जमानत दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी दलील दी कि इस मामले से जुड़े कई आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है।

क्या है पूरा मामला?
08 फरवरी 2024 को हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में हुए दंगे के मामले में अब्दुल मोईद, अब्दुल मलिक सहित कई अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस जाँच में अब्दुल मलिक और उनके पुत्र अब्दुल मोईद को इस मामले का मुख्य आरोपी घोषित किया गया। इसके अलावा, दंगे में शामिल अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया।

पूर्व में भी जमानत याचिका हो चुकी है खारिज
इससे पहले, हाईकोर्ट ने अब्दुल मलिक की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें जिला न्यायालय में जमानत याचिका दाखिल करने को कहा था। घटना के बाद से ही सभी आरोपी जेल में बंद हैं। इस मामले में आरोपियों की ओर से अधिवक्ता विकास गुगलानी और दीप चंद्र जोशी ने पैरवी की।
