केंद्र सरकार ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती को सम्मान देते हुए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। मोदी सरकार ने 14 अप्रैल को देशभर में राजकीय अवकाश घोषित कर दिया है। यह निर्णय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) द्वारा जारी आधिकारिक ज्ञापन के माध्यम से सार्वजनिक किया गया।

डॉ. आंबेडकर के सम्मान में ऐतिहासिक निर्णय
डॉ. भीमराव आंबेडकर, जिन्हें बाबासाहेब के नाम से जाना जाता है, भारतीय संविधान के निर्माता और सामाजिक न्याय के प्रणेता थे। उन्होंने समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। उनकी जयंती, 14 अप्रैल, को अब राष्ट्रीय स्तर पर राजकीय अवकाश के रूप में मान्यता दी गई है, जिससे उनके विचारों और योगदान को और अधिक व्यापक रूप से प्रचारित किया जा सकेगा।
कौन-कौन से संस्थानों में लागू होगा अवकाश?
यह अवकाश देशभर के सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालयों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, स्कूलों, कॉलेजों, स्वायत्त निकायों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में लागू होगा। इसके अलावा, यूपीएससी, सीवीसी, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और केंद्रीय सूचना आयोग जैसे प्रमुख संस्थानों में भी इसे प्रभावी किया जाएगा।
सरकार का उद्देश्य और जागरूकता अभियान
सरकार ने इस अवकाश की घोषणा के साथ ही इसके व्यापक प्रचार की भी योजना बनाई है। पीआईबी, शास्त्री भवन और डीओपीटी की आधिकारिक वेबसाइटों पर इस निर्णय को प्रकाशित किया जाएगा, ताकि देशभर में लोग इस ऐतिहासिक फैसले से अवगत हो सकें।
सिर्फ छुट्टी नहीं, बल्कि एक संदेश
यह अवकाश केवल आराम के लिए नहीं, बल्कि डॉ. आंबेडकर के विचारों और उनके संघर्षों को समझने का एक अवसर भी होगा। इस दिन विभिन्न संगठनों द्वारा सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम और जागरूकता अभियान आयोजित किए जाएंगे, ताकि समाज में समानता और न्याय के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।
मोदी सरकार के इस कदम को डॉ. आंबेडकर के प्रति गहरी श्रद्धा और उनकी विरासत को सहेजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। इससे न केवल उनकी शिक्षाओं को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि देश को सामाजिक समरसता और एकता की दिशा में आगे बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
नज़रें आगे – बदलाव की ओर एक और कदम
14 अप्रैल का राजकीय अवकाश एक ऐतिहासिक फैसला है, जो डॉ. आंबेडकर के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बनेगा। यह निर्णय भारत को एक समानता और सामाजिक न्याय की ओर बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।