टांडा का वो स्कूल जहां से निकल रहे हैं डॉक्टर, पुलिस और टीचर

मुख्य संपादक – सैफ अली सिद्दीकी

सनराइज इंटर कॉलेज टांडा ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी 25 साल की शानदार यात्रा पूरी कर सिल्वर जुबली का ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है।

कॉलेज की स्थापना 29 जनवरी 1999 को मोहल्ला पड़ाव के एक किराए के मकान में हुई थी, जहाँ कुछ छोटे-छोटे बच्चों के साथ कंधों पर बस्ते टाँगे हुए सपनों की यह उड़ान शुरू हुई थी।


संघर्षों से सफलता तक का सफर

संस्थापक सईद रहमानी ने बताया कि शुरुआत में स्कूल को कई बार स्थानांतरित करना पड़ा—मोहल्ला भब्बलपूरी में रियाजुल इस्लाम मरहूम का मकान, फिर महमूद रहमानी साहब की बैठक, और फिर वफाउर्रहमान जामई (स्वतंत्रता सेनानी) की जगह पर 10 वर्षों तक प्राइमरी सेक्शन संचालित हुआ।


सरकारी मान्यताओं का क्रमवार विस्तार

  • 1999: प्राइमरी सेक्शन की मान्यता
  • 2000: जूनियर हाईस्कूल की मान्यता
  • 2003: हाईस्कूल की मान्यता
  • 2010: इंटरमीडिएट (कला और विज्ञान वर्ग) की मान्यता

अपनी ज़मीन पर पहला कदम

2001 में टडोला आज़ाद नगर में सनराइज सोसायटी द्वारा ज़मीन खरीदी गई और 12 जुलाई 2002 को स्कूल को अपने स्थायी भवन में स्थानांतरित किया गया।


लड़कियों की शिक्षा में क्रांति

एक वक्त ऐसा था जब टांडा में लड़कियों के लिए कोई असरी तालीमी संस्थान नहीं था। उस दौर में बेटियों को जंगल के रास्ते स्कूल लाना और फिर उन्हें वापस घर ले जाना एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन आज टांडा में कई आधुनिक स्कूल हैं और लड़कियाँ अच्छी शिक्षा व तरबियत हासिल कर रही हैं।


हर कोने से निकल रहे हैं कामयाब शागिर्द

आज सनराइज के छात्र सरकारी नौकरियों, मेडिकल, पुलिस, टीचिंग और निजी क्षेत्रों में शानदार सेवाएं दे रहे हैं। यह संस्थान अब एक मिसाल बन चुका है।


संस्थापक की भावुक अपील

“हम कब तक जिंदा रहेंगे, मगर यह बरगद का पेड़ हमेशा कायम रहेगा।”
सईद रहमानी ने शागिर्दों और टांडा के लोगों से अपील की कि इस तालीमी चिराग को कभी बुझने न दिया जाएगा।

किर्गिस्तान से MBBS कर भारत लौटे अम्माद ने दूसरे प्रयास में परीक्षा पास कर रच दिया इतिहास


टांडा के युवा डॉक्टर अम्मादुज्जफर रहमानी ने विदेश से मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत में आयोजित एफएमजीई (FMGE) परीक्षा में दूसरी कोशिश में शानदार सफलता पाकर नगर का नाम रोशन कर दिया। उन्होंने जुलाई 2024 में पटना सेंटर पर परीक्षा दी और 16 जुलाई को घोषित परिणाम में 193 अंकों के साथ सफलता प्राप्त की।


इल्मी विरासत का रोशन चिराग

डॉ. अम्माद रहमानी का जन्म 1 मई 1999 को टांडा, रामपुर के एक प्रतिष्ठित इल्मी घराने में हुआ।

  • उनके परदादा मौलाना हकीम अब्दुल रहमान टांडा के पहले आलिम-ए-फाज़िल और इमाम-ए-शहर थे।
  • दादा वफ़ाउर्रहमान जामई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे और रामपुर स्टेट में MLA तथा टांडा टाउन एरिया के 25 वर्षों तक चेयरमैन रहे।
  • बड़े दादा हकीम मौलाना अताउर्रहमान और मौलाना हकीम फ़िदाउर्रहमान भी शहर-ए-इमाम के पद पर रहे।
  • ताया मेहमूद रहमानी 10 वर्षों तक पालिका अध्यक्ष और 30 वर्षों तक जमीयत उलेमा-ए-हिंद रामपुर के सदर रहे।
  • उनके पिता सईद रहमानी, सनराइज इंटर कॉलेज के संस्थापक सदस्य हैं और वर्तमान में प्राथमिक विद्यालय हज़रत नगर में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।

शिक्षा की मजबूत बुनियाद

अम्माद की शुरुआती शिक्षा मदरसा जामिया इस्लामिया अरबिया रहमानिया में हुई, जहाँ उन्होंने हाफिज अशरफ की निगरानी में कुरआन पाक मुकम्मल किया।
इसके बाद सनराइज पब्लिक स्कूल, मोहल्ला भब्बलपुरी से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और फिर सनराइज इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी की।

कॉलेज के दिनों में उन्होंने पढ़ाई को पूरी संजीदगी से लिया, कभी क्लास बंक नहीं की और शैक्षणिक गतिविधियों में हमेशा अग्रणी रहे।


मेडिकल की ओर सफर

इंटरमीडिएट के बाद अम्माद ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी से B.Sc की पढ़ाई की और फिर कोटा (राजस्थान) के मशहूर Allen कोचिंग संस्थान से NEET की तैयारी की।
NEET परीक्षा क्वालिफाई करने के बाद वे MBBS के लिए किर्गिस्तान चले गए, जहाँ पाँच वर्षों तक रहकर उन्होंने अपनी मेडिकल डिग्री पूरी की।


FMGE में संघर्ष और जीत की कहानी

भारत लौटने के बाद उन्होंने दिल्ली में रहकर FMGE (Foreign Medical Graduate Examination) की तैयारी शुरू की।
फरवरी 2024 में मेरठ सेंटर पर उन्होंने पहला प्रयास किया, जिसमें मात्र 5 अंकों से असफलता हाथ लगी।
लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और नए हौसले के साथ दोबारा तैयारी की।

6 जुलाई 2024 को उन्होंने पटना सेंटर पर परीक्षा दी और 16 जुलाई को घोषित परिणाम में 193 अंकों के साथ सफलता प्राप्त की।


नगर में खुशी का माहौल

इस उपलब्धि से उनके परिवार के साथ-साथ पूरे टांडा नगर में खुशी की लहर दौड़ गई।
बधाइयों का तांता लग गया और सोशल मीडिया पर भी लोग उनकी मेहनत और हौसले की सराहना कर रहे हैं।

One thought on “टांडा का वो स्कूल जहां से निकल रहे हैं डॉक्टर, पुलिस और टीचर

  1. अल्लाह स्कूल को और बहुत ज्यादा तरक्की दे और खुशियों से अबात करें allah bless you and your family members 🤲🤲🤲

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