सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से 2003 में हुए चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में दोषी अमरमणि त्रिपाठी की समयपूर्व रिहाई पर जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वह उनकी सजा माफ करने की याचिका पर एक निश्चित समयसीमा के भीतर निर्णय ले। यदि समय पर जवाब नहीं दिया गया, तो जमानत याचिका की जांच की जाएगी।
कौन थीं मधुमिता शुक्ला?
मधुमिता शुक्ला एक युवा और प्रतिभाशाली कवयित्री थीं, जो अपने लेखन के कारण चर्चा में रहती थीं। 9 मई 2003 को लखनऊ के पेपर मिल कॉलोनी में स्थित उनके अपार्टमेंट में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या के समय वे सात महीने की गर्भवती थीं। जांच के दौरान यह सामने आया कि गर्भ में पल रहा बच्चा उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी का था।
कैसे खुला हत्या का राज?
हत्या के तुरंत बाद जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो मधुमिता के घरेलू नौकर देशराज ने चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने बताया कि मधुमिता और अमरमणि त्रिपाठी के बीच गहरे संबंध थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जब उनके गर्भवती होने की पुष्टि हुई, तो मामला और सनसनीखेज हो गया। डीएनए जांच में यह प्रमाणित हुआ कि मधुमिता के गर्भ में पल रहा बच्चा अमरमणि त्रिपाठी का ही था।
बहन निधि शुक्ला का संघर्ष
मधुमिता की बहन निधि शुक्ला को लगने लगा कि उनकी बहन को न्याय नहीं मिल पाएगा, क्योंकि अमरमणि त्रिपाठी सत्ता में प्रभावशाली थे। इसलिए उन्होंने न्याय की लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया। 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने केस को उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया ताकि निष्पक्ष जांच हो सके।
सीबीआई जांच और अमरमणि की गिरफ्तारी
मायावती सरकार को बढ़ते दबाव के कारण मामले की जांच सीबीआई को सौंपनी पड़ी। सितंबर 2003 में सीबीआई ने अमरमणि त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उन्होंने कई बार जमानत की कोशिशें कीं, लेकिन अदालत ने उनकी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
जेल में भी रसूख कायम
अमरमणि त्रिपाठी का रसूख इतना था कि जेल में रहते हुए भी वे रॉक कॉन्सर्ट जैसे कार्यक्रम आयोजित करवाते थे। इसके अलावा, 2007 के यूपी विधानसभा चुनावों में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में महराजगंज की लक्ष्मीपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
आजीवन कारावास की सजा
2007 में उत्तराखंड की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, भतीजे रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा और एक अन्य शूटर प्रकाश पांडेय को भी दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा दी।
राजनीति और विवादों से घिरा जीवन
अमरमणि त्रिपाठी यूपी के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। वे कल्याण सिंह सरकार में मंत्री बने थे, लेकिन एक अपहरण कांड में नाम आने के कारण बर्खास्त कर दिए गए। बाद में उन्होंने राजनीति में अपनी विरासत बेटे अमनमणि त्रिपाठी को सौंप दी, लेकिन अमनमणि भी अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में जेल की सजा काट चुके हैं।
क्या अमरमणि त्रिपाठी की सजा माफ होगी?
अब सवाल यह है कि क्या अमरमणि त्रिपाठी की सजा माफ होगी? उत्तराखंड सरकार ने उनकी अच्छे व्यवहार और स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उनकी रिहाई की सिफारिश की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल उठाते हुए उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा है। यदि सरकार समय पर जवाब नहीं देती, तो अदालत उनकी जमानत याचिका की जांच करेगी।
अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या निर्णय लेता है और क्या मधुमिता शुक्ला को न्याय मिल पाएगा?