उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा, 5 सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं?


उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने आज चुनाव आयोग से पूछा कि उन्होंने उन पांच सदस्यों के खिलाफ क्या कार्रवाई की, जिन्होंने अपने मत का प्रयोग नहीं करने के लिए कोई अनुमती नहीं ली थी। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने चुनाव आयोग को आदेश दिया कि सोमवार तक अपना रोल शपथपत्र के रूप में साफ करें और न्यायालय को प्रस्तुत करें।


न्यायालय में सुनवाई का ब्यौरा

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने आज नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव मामले में सुनवाई की।

सुनवाई के दौरान, चुनाव आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट ने बताया कि ऑब्जर्वर की ओर से दो रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं।

  • ऑब्जर्वर ने कहा कि सौ मीटर के दायरे में कोई गड़बड़ी या हिंसा नहीं हुई।
  • रिपोर्ट डी.जी.पी., जिलाधिकारी और एस.एस.पी. को भेजी गई।
  • डी.एम. और ए.आर.ओ. की रिपोर्ट चुनाव आयोग को पेश की गई।
  • आयोग ने विवादित स्थिति नहीं पाई और डी.ई.ओ./डी.एम. को इसे अपने स्तर पर निस्तारित करने का निर्देश दिया।

ऑब्जर्वर ने 15 अगस्त की सुबह 5 बजे रिपोर्ट फाइल की, जबकि एस.एस.पी. ने डी.एम. को विस्तृत रिपोर्ट भेजी। संजय भट्ट ने कहा कि अगर चुनाव आयोग के पास अधिकार होता तो 5 सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की जाती, लेकिन अभी तक उन्हें नोटिस भेजने का कोई रिकॉर्ड नहीं है।


याची की ओर से बहस

वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र पाटनी ने कहा कि नियम कहता है कि मतदान केंद्र से 1 किलोमीटर के दायरे तक नियम कड़ाई से लागू होने चाहिए।

  • अपहरण के आरोप वाली 5-6 एफ.आई.आर. दर्ज की गई हैं।
  • याची पुष्पा नेगी ने चुनाव आयोग से प्रार्थना की थी कि यह चुनाव रद्द कर पुनः मतदान कराया जाए।

नव निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष दीपा दरमवाल के अधिवक्ता अरविंद वशिष्ठ ने न्यायालय को घटना की ट्रांस्लेटेड रिपोर्ट पढ़कर बताया कि 5 सदस्यों की अनुपस्थिति और अन्य शिकायतें क्या थीं।

ऑब्जर्वर ने बताया कि 500 मीटर के दायरे में सब खाली था, जबकि 100 मीटर के दायरे में सब कुछ ठीक किया गया था। विपक्ष के पास 15 सदस्यों के प्रमाणपत्र थे कि वे उनके साथ थे।


न्यायालय की तीखी टिप्पणियां

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र ने कहा:

  • “डी.एम. और एस.एस.पी. की कार्यशैली के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई?”
  • “नियम के अनुसार आधा किलोमीटर के दायरे में भीड़ नहीं होनी चाहिए, लेकिन आपने यह 100 मीटर का नियम कहां से लाया?”
  • “ऑब्जर्वर फेल हो गए। रिपोर्ट 14 अगस्त की शाम को क्यों नहीं दी गई?”

खंडपीठ ने कहा कि एस.एस.पी. ने कहा है कि 5 सदस्य बिना अनुमती के बाहर गए, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? चुनाव आयोग को उन्हें सूचित करना चाहिए था।


अन्य प्रमुख बिंदु

  • ए.आर.ओ. ने लिखा कि आर.ओ. को केवल पुनःगणना का अधिकार है, पुनः मतदान का नहीं।
  • डी.एम. वंदना सिंह वर्चुअली सुनवाई में उपस्थित रहीं।
  • वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने कहा कि चुनाव तय होते ही सारे अधिकार चुनाव आयोग के हो जाते हैं।
  • न्यायालय ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।

आदेश

खंडपीठ ने कहा कि चुनाव आयोग सोमवार तक अपना रोल साफ करते हुए शपथपत्र न्यायालय में पेश करें।


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