उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रामनगर के एक रिसॉर्ट विवाद में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि रामनगर एस.एच.ओ. का व्यवहार पक्षपाती और निष्पक्ष नहीं रहा। न्यायालय ने चेतावनी दी कि इससे हंगामा और जान-माल का नुकसान हो सकता है।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को मामले की जांच का आदेश दिया। अगली सुनवाई 25 सितंबर को निर्धारित की गई है।
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि संबंधित अधिकारियों से बात कर एस.एच.ओ. के साथ उचित व्यवहार किया गया और उन्हें तत्काल रामनगर पुलिस स्टेशन से हटा दिया गया।
मामले की पृष्ठभूमि में, दिल्ली निवासी आलोक नंदा ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपनी सुरक्षा, स्टाफ और रिसॉर्ट की प्रॉपर्टी की सुरक्षा की मांग की। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्हें राम कुमार और सुशांत कुमार से जान-माल का खतरा है।
याचिका में यह भी कहा गया कि विवाद अमगढ़ी स्थित ननाऊ स्पा एंड रिजॉर्ट के बगल बने वंसा इको रिजॉर्ट के मालिकाना हक से जुड़ा है। आलोक नंदा के वकील ने अदालत में वीडियो भी पेश किए, जिसमें कुछ लोग रिसॉर्ट की प्रॉपर्टी में जबरन घुसने का प्रयास कर रहे थे।
न्यायालय ने गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर एस.एच.ओ. को हटाया नहीं गया तो खुद उन्हें निलंबित किया जाएगा और डी.जी.पी. व नैनीताल एस.एस.पी. को अवमानना नोटिस जारी किया जाएगा।
आलोक नंदा और रामकुमार-सुशांत कुमार के बीच लंबे समय से मालिकाना हक को लेकर विवाद चल रहा है और दोनों पक्ष कई बार एक-दूसरे के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करा चुके हैं।
राज्य सरकार की ओर से शपथपत्र देकर जानकारी दी गई कि एस.एच.ओ. रामनगर को हटा दिया गया है।
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