उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नगर निकाय चुनाव में 14 दिसंबर 2024 को जारी आरक्षण रोटेशन नियमावली को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अहम निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि जिन प्रत्याशियों की जीत प्रभावित हो रही है, वे न्यायालय में अपना पक्ष रख सकते हैं। इसके लिए राज्य सरकार को राज्य स्तरीय समाचार पत्रों में विज्ञप्ति जारी करने के निर्देश दिए गए हैं।
मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को
मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल 2025 को होगी। सरकार ने न्यायालय से शपथपत्र दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है।
क्या है मामला?
अल्मोड़ा नगर निगम, धारचूला नगर पालिका, गुप्तकाशी नगर पंचायत और उत्तरकाशी नगर पालिका में अध्यक्ष और मेयर पद के प्रत्याशियों ने सरकार की आरक्षण नियमावली 2024 को चुनाव से पहले ही अदालत में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि राज्य सरकार को आरक्षण नियमावली बनाने का अधिकार नहीं है, इसलिए निकायों का आरक्षण दोबारा तय किया जाए।
पूर्व में एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था और सरकार से जवाब पेश करने को कहा था। इसके बाद, याचिकाकर्ताओं ने खंडपीठ में विशेष अपील दायर की, लेकिन वह भी खारिज कर दी गई।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
इसके बाद, अल्मोड़ा निवासी सोभा जोशी ने इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने एकलपीठ के उठाए गए सवालों को सही ठहराया और निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय इस मामले की शीघ्र सुनवाई करे।
अब सभी की नजरें 28 अप्रैल की सुनवाई पर टिकी हैं, जब सरकार अपना शपथपत्र दाखिल करेगी और आगे की कार्यवाही तय होगी।