उत्तराखण्ड : हाईकोर्ट का आदेश, सरकार खोले इनामुल उलूम सोसायटी की सील

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने विकास नगर स्थित इनामुल उलूम सोसायटी को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए राज्य सरकार को उसके संचालित भवन की सील खोलने का निर्देश दिया है। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि याचिकाकर्ता बिना सरकारी मान्यता के कोई मदरसा संचालित नहीं करेगा।

याचिकाकर्ता जुबेर अहमद की अपील पर सुनवाई

इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की एकलपीठ में न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी द्वारा की गई। याचिका इनामुल उलूम सोसायटी के अध्यक्ष जुबेर अहमद ने दायर की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने बिना उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाए उनके परिसर को सील कर दिया।

सरकार का पक्ष

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर ने अदालत में पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता तय नियमों का उल्लंघन कर मदरसा चला रहा था। उन्होंने यह भी दलील दी कि यदि सील हटाई जाती है, तो याचिकाकर्ता पुनः इस तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल हो सकता है।

याचिकाकर्ता का तर्क

याचिकाकर्ता जुबेर अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 226 का हवाला देते हुए तर्क दिया कि बिना उचित सुनवाई का अवसर दिए उनकी संपत्ति को सील करना कानून के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि अगर सोसायटी अपने निर्धारित उद्देश्यों से इतर कोई कार्य कर रही थी, तो भी उसे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए था।

कोर्ट का फैसला

सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को इनामुल उलूम सोसायटी के भवन की सील खोलने का आदेश दिया। हालांकि, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता बिना सरकार की मान्यता के कोई मदरसा संचालित नहीं करेगा।

अगली सुनवाई 11 जून को

कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 जून की तिथि निर्धारित की है। इस दौरान सरकार और याचिकाकर्ता दोनों को अपने-अपने पक्ष को स्पष्ट करने का अवसर मिलेगा।

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