सुप्रीम कोर्ट का सवाल: “क्या 15वीं सदी की मस्जिदों से रजिस्ट्री चाहिए?”

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वक्फ संपत्तियों से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के हालिया संशोधनों पर गंभीर चिंता जताई। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने “वक्फ बाई यूजर” का प्रावधान हटाए जाने पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा।

CJI का सवाल: “क्या 14वीं-15वीं सदी की मस्जिदों से रजिस्ट्री की उम्मीद है?”

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, “आपने ‘वक्फ बाई यूजर’ का प्रावधान क्यों हटाया? क्या आप 14वीं-15वीं सदी की मस्जिदों से रजिस्ट्री मांग रहे हैं?” अदालत ने कहा कि ऐसे ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों के पास पुराने दस्तावेज़ होना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।

सरकार की सफाई और कोर्ट की दोबारा चिंता

सरकार की ओर से कहा गया कि सभी वक्फ संपत्तियों का कानूनी रूप से पंजीकरण होना चाहिए। इस पर अदालत ने दोबारा सवाल उठाया, “अगर सरकार कल को इन जमीनों को सरकारी घोषित कर दे तो क्या होगा? क्या सिर्फ दस्तावेजों के आधार पर धार्मिक स्थलों की पहचान की जाएगी?”

वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति पर भी सवाल

CJI ने केंद्र से यह भी पूछा, “क्या आप मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्ट का सदस्य बनने देंगे, जैसे आपने वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान किया है?”

जमीयत उलमा-ए-हिंद की आपत्ति: “संविधान विरोधी कानून”

जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि मौजूदा वक्फ कानून संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है और यह धार्मिक मामलों में सीधी दखलंदाजी करता है।

संगठन के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा, “मुसलमान अपने धार्मिक मामलों में किसी भी तरह की हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह कानून देश की एकता और शांति के लिए खतरा बन सकता है।”

कपिल सिब्बल ने दिया आर्टिकल 26 का हवाला

कपिल सिब्बल ने आर्टिकल 26 का हवाला देते हुए कहा कि यह संशोधन मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इस पर CJI ने कहा, “आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष है। सरकार ने हिंदुओं के लिए कई कानून बनाए हैं, तो मुस्लिम समुदाय के लिए कानून बनाना अनुचित कैसे हो सकता है?”

73 याचिकाएं दायर, 10 पर हुई सुनवाई

अब तक वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ कुल 73 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। मंगलवार को इनमें से 10 याचिकाओं पर सुनवाई हुई।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस कानून के कारण देशभर की हजारों मस्जिदें, कब्रिस्तान और दरगाहें संकट में पड़ सकती हैं।

सुनवाई आज दोपहर 2 बजे फिर से

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है और सभी पक्षों को तथ्यों सहित उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई आज दोपहर 2 बजे फिर से होगी।

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