यहया कमाल
सोशल मीडिया पर वायरल पत्र, प्रशासन तक नहीं पहुंची शिकायत
हाल ही में टांडा नगर क्षेत्र में मंडी समिति से मस्जिद आयशा तक की सड़क की खराब स्थिति को लेकर एक पत्र व्हाट्सएप पर वायरल हुआ। पत्र में नगर पालिका परिषद से सड़क निर्माण की मांग की गई थी, लेकिन तथ्य यह है कि वह पत्र संबंधित विभाग को औपचारिक रूप से दिया ही नहीं गया।

लेखक ने स्वीकार की गलती – “सिर्फ व्हाट्सएप ग्रुप में डाला”
पत्र लेखक मोहम्मद वकील एडवोकेट ने जन वार्ता न्यूज़ को बताया कि
“मैंने यह पत्र सिर्फ सोशल मीडिया के व्हाट्सएप ग्रुप में डाला है, नगर पालिका परिषद को नहीं दिया है।”
उनका यह बयान यह साबित करता है कि बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया का पालन किए उन्होंने प्रशासन के नाम पर सोशल मीडिया पर जन भावनाओं को उकसाने की कोशिश की।

प्रशासन का स्पष्ट रुख – बिना पत्र आए नहीं हो सकती कार्यवाही
नगर पालिका परिषद टांडा की अधिशासी अधिकारी वंदना शर्मा ने कहा,
“मेरे पास ऐसा कोई पत्र अब तक नहीं आया है, पत्र मिलने के बाद नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।”
वहीं नगर पालिका अध्यक्ष के प्रतिनिधि हाजी सरफराज ने भी यही बात दोहराई,
“न तो कोई शिकायत पत्र मिला है, और न ही कोई कार्यालय में आया है। जो भी आया है वह सिर्फ व्हाट्सएप पर आया है। फिर भी सड़क का एस्टीमेट बन चुका है, और कार्य जल्द शुरू होगा।”
प्रक्रिया का उल्लंघन, प्रशासन की छवि धूमिल करना गैरकानूनी
कानून विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति बिना विधिक प्रक्रिया अपनाए सोशल मीडिया पर केवल प्रचार के उद्देश्य से ऐसे पत्र प्रसारित करता है, जिससे किसी संस्था की साख पर असर पड़ता है, तो यह भारतीय न्याय संहिता 2023 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत दंडनीय है।
संबंधित धाराएं:
- धारा 356 (मानहानि) – संस्था की छवि को ठेस पहुँचाना
- धारा 354 (जानबूझकर अपमान) – लोकशांति को प्रभावित करने वाला कार्य
- धारा 358 (भ्रामक/असत्य जानकारी फैलाना)
- आईटी अधिनियम की धारा 66 – डिजिटल माध्यम से झूठी या असत्य जानकारी फैलाना
इन धाराओं के तहत व्यक्ति को जमानती/अजमानती अपराध, जुर्माना, व तीन वर्ष तक की सजा तक हो सकती है (प्रकरण की गंभीरता पर निर्भर करता है)।

प्रशासन ने निभाई जिम्मेदारी, फिर भी आलोचना गलत
यह स्पष्ट है कि नगर पालिका प्रशासन ने सड़क की खराब स्थिति को लेकर काम पहले ही शुरू कर दिया है। एस्टीमेट तैयार है और बजट स्वीकृति की प्रक्रिया चल रही है। फिर भी एक ऐसा व्यक्ति, जो शिकायतकर्ता बनकर सामने आया, लेकिन औपचारिक प्रक्रिया अपनाने की बजाय व्हाट्सएप ग्रुप में “प्रेसर पॉलिटिक्स” कर रहा है – यह प्रशासन की छवि को जानबूझकर धूमिल करने का प्रयास कहा जा सकता है।
समाज के लिए सबक – पहले शिकायत दर्ज करें, फिर अपेक्षा करें समाधान की
प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी समस्या हो, नागरिक पहले शिकायत को लिखित रूप में विभाग में दें, उसकी रिसीविंग लें और प्रक्रिया के अनुसार कार्रवाई की प्रतीक्षा करें। सोशल मीडिया पर पोस्ट डालना समाधान नहीं है।
निष्कर्ष – व्हाट्सएप पर नहीं, कार्यालय में दें शिकायत; प्रशासन जवाबदेह है, बशर्ते प्रक्रिया का पालन हो
टांडा नगर पालिका प्रशासन जवाबदेह है और सक्रिय रूप से समस्याओं के समाधान हेतु कार्य कर रहा है। परंतु, नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन करें, ताकि न केवल उनकी समस्या हल हो, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था में अनुशासन भी बना रहे।